अमेरिका में चुनाव हो गए। बराक हुसैन ओबामा ने रिकार्ड बनाते हुए जीत हासिल कर ली। ये तो होना ही था। इसमें कुछ नया नहीं है। इस चुनाव में नया यह है कि दुनिया के सबसे पुरानी लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए इस बार वहां की जनता ने बड़े उत्साह से वोट डाले हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि मतदान में युवा वर्ग की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक रही। इसे रिपब्लिकन जार्ज बुश की नीतियों के प्रति नाराजगी ही न माना जाए। नई पीढ़ीं में वोटिंग को लेकर उत्साह को लोकंतत्र के प्रति आस्था के तौर पर क्यों नहीं देखा जाना चाहिए।
इसके उलट भारत में वोटिंग को लेकर हर उस व्यक्ति की रुचि घटती जा रही है, जो खुद के जागरुक होने का दावा करते हुए नियम-कानून के पालन करने वालों में सबसे ऊपर रखता है। आपातकाल और 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद हुए चुनाव में जरूर भारी मतदान हुआ। बाद के चुनावों में मतदान के आंकड़ों से तो यह नहीं लगता कि भारतवासियों को लोकतंत्र में विश्वास रह गया है। देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली तक का हाल बुरा है। जब से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ है, तीन बार चुनाव हो चुके हैं। शायद ही कभी मतदान 50 फीसदी से ज्यादा गया हो।
सरकारों और चुनाव आयोग का इसका अहसास है। एक दिन टीवी पर दिखाया जा रहा था कि दिल्ली में मतदान में भाग लेने के लिए मुहिम चलाई जा रही है। कहा जा रहा है कि मतदाता पहचान पत्र आपके बैंक एकाउंट खोलने, ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, पासपोर्ट हासिल करने के लिए ही नहीं है। इसका इस्तेमाल वोट डालने के लिए भी करें। देख-सुनकर अच्छा लगा कि अगर लोगों को एेसे ही कुछ और अहसास दिलाए गए, तो मतदान का प्रतिशत बढ़ जाएगा। क्या सरकार कानून बनाकर मतदान को हर नागरिक के लिए जरूरी करने के बारे में नहीं सोचेगी।
गुरुवार, 6 नवंबर 2008
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4 टिप्पणियां:
good idea
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है ।
लिखते रहें ,लिखने वालों की मन्ज़िल यही है ।
कविता,गज़ल व शेर पढ़्ने के लिए मेरे ब्लोग पर सादर आमंन्त्रित हैं ।
पोलिटिक्स के अलावा भी कुछ लिखें ।
Sujhav aacha hai magar yeh bhi sochne ki jaroorat hai ki voting ki upecha karne ki naubat hi kyon aai. Welcome on blog family & on my blog also.
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
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