रविवार, 19 अक्तूबर 2008
जम्मू कश्मीर
आखिरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा हो ही गई। चुनाव के मुद्दों की जमीन वहां पहले से ही तैयार हो चुकी है। वर्ष,2002 में वहां जो चुनाव हुए थे, उनके बारे में कहा जाता है कि एक अरसे बाद स्वतंत्र और निष्पक्षता की कसौटी पर यह चुनाव खरे उतरे थे। लेकिन इस बार के चुनावों की एक अहम कसौटी यह भी होगी कि यह आतंकवाद के नाम पर लड़े जाएंगे या फिर राष्ट्रवाद के नाम पर। अमरनाथ भूमि विवाद ने एक और पेंच खड़ा कर दिया है, वह हिंदू बनाम मुसलमान का। नब्बे के दशक से पूरा राज्य और खासतौर पर कश्मीर घाटी आतंकवाद से जूझती रही है। वहां पर जम्मू बनाम कश्मीर की जंग चलती रही है, पर हिंदू-मुसलमान के मामले आमने-सामने के तौर पर नहीं देखे गए। अब क्या होगा यह देखने की बात होगी
सदस्यता लें
संदेश (Atom)